
Team India Player Mukesh Story
एक बार ऑस्ट्रियन न्यूरोलॉजिस्ट सिगमंड फ्रायड ने कहा था कि “एक दिन वर्षों का संघर्ष, बहुत खूबसूरत तरीके से तुमसे टकराएगा|” ऐसा ही कुछ भारतीय टीम का हिसाब बने मुकेश कुमार के साथ हुआ है और सिगमंड फ्रायड की बात एक बार फिर से सही साबित हुई थी|
कहाँ से आते हैं मुकेश?
मुकेश बिहार के एक छोटे से गांव से हैं और इस गांव का नाम है काकरकुंड| इनका गांव पटना से 150 किलोमीटर दूर गोपालगंज जिले में आता है| मुकेश बचपन से ही भारतीय टीम का हिस्सा बनना चाहते थे| इनके पास खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर इसका सिर्फ एक शब्द था और वहां पर ना ही कोई रणजी की टीम थी|
मुकेश ने बताया कि वो लगातार दिन-रात अपने सपने के लिए मेहनत करते गए और समय के साथ अपने खेल सुधारते गए| पहले मुकेश जिस टीम में खेलते थे, वहां पर इनको कहा गया था कि तुम अपनी गेंदबाजी और विकेट लेने पर ज्यादा ध्यान दो| उसके बाद से मुकेश ने वही किया| उनकी मेहनत और खेल के प्रति लगाव ने उनको यहां तक पहुंचा दिया है और अब वो भारतीय टीम का हिस्सा बन गए हैं| जो किसी सुनहरे सपने के सच होने से कम नहीं है|
पिता का भरोसा
मुकेश के पिता भी क्रिकेट के बहुत बड़े प्रसंशक हैं| उनके खेल की शुरुवात में हर पिता की तरह उनके पिता को भी मुकेश पर भरोसा नहीं था| क्योंकि वो सोचते थे कि छोटे से गांव से एक लड़का कैसे भारतीय टीम का खिलाड़ी बन सकता है| मुकेश के लिए बिहार के एक छोटे से गांव से निकल कर क्रिकेट की जगमगाती दुनिया में आना बेहद ही मुश्किल भरा था|
पटना से 150 किलोमीटर दूर छोटे से गांव का घर लड़का बस यही सपना देखता है कि वो कैसे पढाई करके एक छोटी-सी नौकरी पाए| मुकेश के प्रयास को देखते हुए उनके पिता ने मुकेश को दिल से कोशिश करने को कहा| शुरुवात में मुकेश के घर की आर्थिक स्तिथि सही नहीं थी| लेकिन फिर भी मुकेश के पिता ने उन पर भरोसा जताया|
पहले मुकेश के पिता उनको नौकरी के ऊपर ध्यान देने के लिए कहते थे| लेकिन मुकेश ने अपना नाम क्रिकेट क्लब में लिखवा दिया था| इस बीच मुकेश को चोट भी लगी| मुकेश का एक साल गुजर गया था और उनके पिता ने उनसे कहा था कि ऐसा कब तक चलेगा?
जब रणजी ट्रॉफी में नाम आया
उसके बाद मुकेश ने अपने पिता से एक साल का समय माँगा और फिर उन्होंने एक साल जी तोड़ मेहनत की| इसके बाद रिजल्ट आया और मुकेश का नाम रणजी ट्रॉफी की लिस्ट में लिखा गया| यह देख कर मुकेश ने सबसे पहला फोन कॉल अपने पिता को किया था और इस बारे में सब कुछ बताया|
बिज़नेस धीमा पड़ा
मुकेश के अनुसार, शुरुवात में हमारा बिज़नेस था और कुछ समय के लिए हमारा काम सही से नहीं चला| इस दौरान उनके पिता ने घर का गुजारा चलाने के लिए टैक्सी भी चलाई| रणजी ट्रॉफी में सिलेक्शन के बाद मुकेश को कभी नहीं लगा कि उनको क्रिकेट छोड़ देना चाहिए|
पहले खेलते थे टेनिस गेंद से
शुरुवात में वो टेनिस बॉल से खेलते थे और बहुत ही तेज गेंदबाजी करते थे| मुकेश का एक्शन भी ब्रेट ली से मेल खाता था| मुकेश के बताया कि वो ब्रेट ली को अपना आदर्श मानते हैं और जब लोग उनको ब्रेट ली कहते हैं तो उनको बहुत अच्छा लगता है|
2020 में मुकेश का रणजी ट्रॉफी में सिलेक्शन हो गया| आपको बता दें, मुकेश ने अब तक एक भी बार आईपीएल मैच नहीं खेला है| आपको जल्दी ही मुकेश भारतीय टीम के लिए तेज गेंदबाजी करते हुए दिख जाएंगे|